| सारांष जैसा कि नाम से ही साफ है ग्लोबल वार्मिंग धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही बढोतरी है। हमारी धरती प्राकृतिक तौर पर सूर्य की किरणों से उष्मा प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमण्डल से गुजरती हुई धरती की सतह से टकराती है और फिर वही से परावर्तित होकर पुनः लौट जाती है। जिनमे कुछ ग्रीन हाउस गैस भी शामिल है। इनमें से अधिकांष धरती के उपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण बना लेती है यह किरणों का आवरण एक हिस्सें को रोक लेता है। इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्भ बनाये रखता है। मनुष्यों प्राणियों और पौधों के जीवन रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्सियस तापमान आवष्यक होता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है। तो फिर शुरू हो जाते है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्रकृ ितमे बदलाव आ रहा है। कहीं भारी वर्षा तो कहीं सुखा कहीं लू तो कहीं ठंड। कहीं बर्फ की चट्टानें टूट रही है। तो कहीं समुद्री जल स्तर में बढौतरी हो रही है। आज जिस गति से ग्लेषियर पिछल रहे है इससे भारत और पडौसी देषों को खतरा बढ सकता है। ग्लोबल वार्मिंग से फसल चक्र भी अनियमित हो जायेगा। इससे कृषि उत्पादकता भी प्रभावित होगी। मनुष्यों के साथ साथ पक्षी भी इस प्रदुषण का षिकार हो रहे है। ग्लोबल वार्मिंग पक्षियों के दैनिक क्रियाकलाप और जीवन चक्र को प्रभावित करता है। ग्लोबल वार्मिंग में सर्वाधिक योगदान ब्व2 का है। सन 1880 से पूर्व वायुमण्डल |